Janhit Mein Jaari Movie Review & Rating: हंसाने के साथ सेफ सेक्स का पाठ भी पढ़ाती है नुसरत भरूचा की फिल्म, देखने से पहले पढ़ें इसका रिव्यू 

मूवी रिव्यू
भाग्य लक्ष्मी
Updated Jun 07, 2022 | 13:18 IST
Critic Rating:

Janhit Mein Jaari Movie Review and Rating in Hindi: दर्शकों को लंबे समय से राज शांडिल्य द्वारा लिखित और जय बसंतू सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म जनहित में जारी का इंतजार है। अगर आप यह फिल्म देखने के लिए बेकरार हैं तो देखने से पहले इसका रिव्यू यहां जरूर पढ़ें। 

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Janhit Mein Jaari Review  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • 10 जून को रिलीज होगी नुसरत भरूचा जनहित में जारी।
  • जय बसंतू सिंह के निर्देशन में बनी है यह फिल्म।
  • सेफ सेक्स का पाठ पढ़ाती है नुसरत की जनहित में जारी ।

Janhit Mein Jaari Movie Review and Rating in Hindi: करियर के हर पड़ाव में नुसरत भरूचा अपने आप को बेहतरीन साबित कर रही हैं। उनकी पिछली कुछ फिल्में भले ही बाहुबली, केजीएफ और आरआरआर जितनी कमाई नहीं कर पाईं लेकिन दर्शकों को मनोरंजन करने से पीछे नहीं हटीं। इसी सिलसिले को जारी रखते हुए नुसरत अपने दर्शकों के लिए एक और फिल्म लेकर आने वाली हैं। इस वर्ष 10 जून को नुसरत भरूचा की फिल्म जनहित में जारी रिलीज होने जा रही है। तकरीबन अपनी हर फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी नुसरत ने एक आम लड़की का किरदार निभाया है। इस फिल्म में नुसरत एक ऐसी लड़की के किरदार में नजर आएंगी जो रूढ़िवादी और कट्टर समाज के बीच एक नई और जरूरी शिक्षा दे रही है। 

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क्या है जनहित में जारी फिल्म की कहानी

जनहित में जारी फिल्म की कहानी मनोकामना त्रिपाठी (नुसरत भरूचा) के इर्द-गिर्द घूम रही है। मनोकामना त्रिपाठी की जिंदगी दोराहे पर आ जाती है जहां उसे शादी और करियर के बीच में से किसी एक को चुनना है। वह एक कंपनी में सेल्स रिप्रेजेंटेटिव की जॉब ले लेती है और मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में कंडोम बेचने के लिए जाती है। यह एक रूढ़िवादी और पिछड़ा हुआ गांव है जहां कंडोम जैसी चीजों को सोशल स्टिग्मा माना जाता है। ऐसे समाज में नुसरत ने सेफ सेक्स का पाठ बेहतरीन तरीके से पढ़ाया है।

कैसी है कहानी, निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी

राज शांडिल्य की कलम दर्शकों के दिलों में एक छाप छोड़ने वाली है। दर्शकों को गुदगुदाने के साथ यह फिल्म उनको एक ऐसा सीख देगी जो बहुत जरूरी है। इस फिल्म के माध्यम से राज शांडिल्य ने अबॉर्शन और कांट्रेसेप्शन जैसे विषयों पर गंभीरता दिखाई है जिनके बारे में लोग अक्सर बात करने से हिचकिचाते हैं। राज शांडिल्य की कलम से इस बार ढेर सारे पंच लाइंस और वन लाइनर्स निकले हैं, जिन्हें बेहतरीन तरीके से जय बसंतू सिंह ने पर्दे पर उतारा है। इस फिल्म के लिए उनका निर्देशन अच्छा था लेकिन इसे और बेहतर किया जा सकता था। सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन भी तारीफ के काबिल हैं। फिल्म के हिसाब से लोकेशन का भी खास ध्यान रखा गया है।

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लीड और सपोर्टिंग कास्ट का अभिनय 

इस फिल्म में नुसरत भरूचा की एक्टिंग काबिले तारीफ है। शुरुआत से लेकर अंत तक वह अपने किरदार में बनी रहीं। उन्होंने अपने किरदार को पर्दे का बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित किया। यही वजह है कि पर्दे पर उनका किरदार उभर कर आया। लेकिन वह अपनी परफॉर्मेंस को और बेहतर कर सकती हैं। बात करें अगर सपोर्टिंग कास्ट की तो विजेंद्र काला, विजय राज, अनुद ढाका, परितोष त्रिपाठी और टिन्नू आनंद भी तारीफ के हकदार हैं। इन सभी कलाकारों की वजह से इस फिल्म पर चार चांद लग गए। सपोर्टिंग रोल में इन सभी एक्टर्स ने इस फिल्म में जान डाल दी।

क्या देखनी चाहिए यह फिल्म?

हां, दर्शकों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए। ना ही सिर्फ मनोरंजन के लिए बल्कि एक अच्छी सीख हासिल करने के लिए भी यह फिल्म देखना उचित रहेगा। दर्शकों को इस फिल्म में बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा।

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